गीतांजलि मिश्रा के झुमके ने मचाया शोर, लखनऊ के बाजार में!

झुमका रील्स के वायरल ट्रेंड के बीच, गीतांजलि मिश्रा, जोकि एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में राजेश के अपने किरदार के लिये मशहूर हैं, ने खूबसूरत और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय गहनों की खूब जमकर खरीदारी की। लखनऊ में इस शो और शो में अपनी एंट्री के प्रमोशन के दौरान, गीतांजलि को यहां के झुमकों ने काफी आकर्षित किया। उनके पास झुमकों का काफी बड़ा कलेक्शन है और वो अक्सर इन्हें अपनी शूटिंग के दौरान पहनती हैं। झुमके उनके स्टाइल का हिस्सा होते हैं। गीतांजलि, भारत में कहीं भी ट्रैवल कर रही हों, कम-से-कम एक जोड़ी झुमके जरूर खरीदती हैं। इससे पता चलता है कि संस्कृति और फैशन के मेल से बने, बारीक डिजाइन वाले इस गहने से उन्हें कितना प्यार है। इस बार तो उन्होंने एक साथ कई सारे झुमकों के पेयर खरीदकर अपना कलेक्शन और भी बड़ा कर लिया है। उनका मानना है कि रियल लाइफ और राजेश के बीच झुमकों को लेकर उनका प्यार एक जैसा है। झुमकों की अपनी इस पसंद के बारे में एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन‘ में राजेश का किरदार निभा रहीं, गीतांजलि मिश्रा कहती हैं,‘‘जब कभी भी ज्वैलरी की बात आती है, मेरे लिए ईयररिग्ंस ही सबसे पहले आते हैं! यदि आपने ईयररिंग्स के सही पेयर पहने हों तो आपका लुक ही बदल जाता है। ये पहली नजर में ही किसी का भी ध्यान अपनी तरफ खींच सकते हैं, इसलिए ये सुंदर और आकर्षक होने चाहिए। चाहे लोगों से मिलना-जुलना हो, पार्टी हो, कोई औपचारिक मौका हो या फिर कोई पारंपरिक, एक स्टाइलिश प्रभाव डालने के लिए झुमकों का मेरा कलेक्शन हमेशा ही काम आता है। असली पारंपरिक ज्वैलरी के लिए मेरा लगाव उम्र के साथ बढ़ता ही जा रहा है, यही वजह है कि झुमके अक्सर ही मेरी एसेसरी का हिस्सा होते हैं। इनकी बारीक डिजाइनिंग, और चटकीले रंगों में ही कुछ ऐसा जादू है। ये बड़ी ही सहजता से परंपरा के साथ घुल-मिल भी जाते हैं। ये सिर्फ एक ज्वैलरी नहीं, बल्कि परंपरा और कलाकारी का भी प्रतीक है। इनकी मीठी और खनकती आवाज इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं। इससे एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला खूबसूरत-सा माहौल बन जाता है। मेरे पास झुमकों का एक बहुत ही बड़ा कलेक्शन है और मैं जहां भी जाती हूं इसे खरीदती रहती हूं। इतने समय में मेरे कलेक्शन में काफी सारे स्टाइल के झुमके इकट्ठा हो गए हैं। चांदबालियों की विविधता की वजह से ये मेरे फेवरेट हैं और मेरे सभी आउटफिट पर काफी फबते भी हैं। मैंने उन्हें स्टोर करने के लिए अलग से एक जगह बना रखी है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि राजेश और गीतांजलि दोनों को ही झुमकों से प्यार है। हाल ही में मैं नवाबों के ऐतिहासिक शहर, लखनऊ गई थी, मैंने वहां के लोकल स्ट्रीट फूड का स्वाद चखा और मैंने ट्रेडिशनल झुमकों की खूब जमकर शाॅपिंग की। लखनऊ का जाना-माना बाजार, अमीनाबाद बाजार मेरे लिए तो स्वर्ग बन गया। वहां, शाॅपिंग की होड़ में कोई खुद को खरीदारी से रोक ही नहीं सकता। यहां के बाजार इतिहास के रंग में रंगे हुए हैं और बड़े या छोटे शहरों में कहीं भी ऐसा देखने को नहीं मिलता। आपको यकीन नहीं होगा, मैंने पचास जोड़े झुमके खरीदे। हरेक झुमके के डिजाइन, कलर और साइज अनूठे हैं। हालांकि, मुझे लगता है कि इक्यावन एक शुभ नंबर है, इसलिए एक स्पेशल टच देने के लिए मैं एक जोड़ी और लेने से खुद को रोक नहीं पाई। अलग-अलग शहरों से ईयररिंग्स का कलेक्शन करना मेरे लिए एक रस्म बन गई है। यदि ट्रैवल के दौरान मुझे जाने का मौका नहीं मिलता, तो मुझे लगता है जैसे कुछ अधूरा रह गया है (हंसते हुए)।‘‘

इसके साथ ही गीतांजलि कहती हैं, ‘‘मुझे नाजुक, जड़े हुए डिजाइन वाली ज्वैलरी पसंद आती है, जिससे सादगी और खूबसूरती झलकती हो। एसेसरीज खासकर, झुमके या ईयररिंग्स में विविधता होती है, जो स्टाइलिश टच देती है। इससे स्टाइल और भी निखर कर आता है। झुमकों में काफी विविधता होती है। ये पारंपरिक और कंटेम्पररी दोनों होते हैं, जो इसे कभी भी पहनी जाने वाली एसेसरी बनाते हंै। मैं ऐसे झुमके लेती हूं, जिसे बड़ी की बारीकी से बनाया गया हो और उन पर कलाकारी की गई हो। यदि इसे मेरी पर्सनालिटी के हिसाब से पर्सनलाइज्ड किया जाए तो उससे अच्छी चीज कुछ नहीं हो सकती! मुझे अपनी पसंद के साथ प्रयोग करने में काफी मजा आता है, चाहे वो हूप हो, सूर्यखंती, झालर या फिर मेरी पसंदीदा चांदबालियां। ये सारे ही पांरपरिक परिधानों में चार-चांद लगाते हैं। पारंपरिक भारतीय लुक के साथ इनका अलग-अलग तरह से प्रयोग करने में मुझे मजा आता है।‘‘

Getmovieinfo.com

Related posts